बैंगन की खेती नर्सरी से रोपाई तक की पूरी जानकारी || Brinjal farming || बैंगन की खेती

Опубликовано: 24 Июль 2021
на канале: Kisan Bharti TV
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Video Title:-बैंगन की खेती नर्सरी से रोपाई तक की पूरी जानकारी || Brinjal farming || बैंगन की खेती
सब्जी वाली जिन फसलों में पौध तैयार करनी पड़ती है उनमें पौधशाला निर्माण एवं मृदा तथा बीजोपचार जैसी क्रियाओं का करना अत्यंत आवश्यक है। पौध लगाने से पूर्व गर्मी की गहरी जुताई करें अन्य​था पौध लगाने वाले स्थान की जुताई कर पालीथिन सीट से एक हफ्ते के लिए ढक दें। बाद में सड़ी हुई गोबर की एक कुंतल खाद में एक किलोग्राम ट्राईकोडर्मा मिलाकार उसे सात दिन के लिए पेड़ की छांव में छोड़ दें। सात दिन पर इस पर पानी के छींटे मारते रहें। बाद में इस खाद को नर्सरी वाली क्यारी में डाल दें।

In vegetable crops in which saplings have to be prepared, it is very important to do activities like nursery construction and soil and seed treatment. Before planting, do deep summer plowing, otherwise, plow the planting area and cover it with a polythene seat for a week. Later, mix one kg of Trichoderma in one quintal of rotted cow dung and leave it in the shade of the tree for seven days. Keep sprinkling water on it for seven days. Later, put this manure in the nursery bed.

15 सेमी उठी हुई 3 मीटर लम्बी व एक मीटर चैड़ी 25-30 क्यारियों से एक हैक्टेयर में रोपाई के लिए पौध तैयार हो जाएगी। एक क्यारी में 15-20 किलो गोबर की खाद, 300 ग्राम मिश्रित उर्वरक एन.पी.के. (19ः19ः19 प्रतिशत) मिलाते हैं। 8-10 ग्राम/वर्गमीटर कार्बोफ्यूरान 3 जी मिलाते हैं। 2 ग्राम केप्टान या 4 ग्राम काॅपर आक्सीक्लोराइड फफूंदीनाशक की प्रतिलीटर पानी की दर से घोलकर क्यारी को तर (ड्रेंच) करते हैं। बीजों को केपटान या बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर 0.5 सेमी गहराई पर 5 सेमी की दरी पर कतार बनाकर बुवाई कर सूखी घास व चारे से ढ़ककर झारे से सिंचाई करते हैं। 5-7 दिन बाद बीजों के अंकुरण पर पुनः फफूंदीनाशक दवाओं के घोल से क्यारी को तर करते हैं। बुवाई के 15-20 दिन बाद रस चूसक कीटों की रोकथाम हेतु इमिडाक्लोप्रिड़ 17.8 एस.एल. (0.5 मिलीटर/लीटर पानी) व 25 दिन बाद फफूंदीनाशक डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) के साथ छिड़कें । कीटों की रोकथाम के लिए प्लास्टिक के एग्रो नेट (25 मेस) 200 गेज से भी पौधशाला की क्यारियों को ढक सकते हैं। रोपाई से 4-6 दिन पूर्व सिंचाई को रोकने से पौधों में सहनशीलता अधिक आती है। नवम्बर में कम तापक्रम होने के कारण बीजों का अंकुरण कम होता है। इसके लिए क्यारियों को अर्द्ध चन्द्राकार मोटे तार लगाकर 1.5 फुट ऊॅचाई रखते हुए पारदर्षक पोलीथीन सीट से ढ़कने से अन्दर का तापक्रम बढ़ जाता है।
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Anchor: Shubham Singh
Editor: Rohit Gupta
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